महिला दिवस पर इंटरनेशनल ताइक्वांडो रेफरी बनी शिवानी की प्रेरणादायक कहानी
अस्थमा की बीमारी के बावजूद ताइक्वांडो को चुना, दादा-दादी के विरोध के बाद भी सफलता पाई
महिला दिवस पर शिवानी सिंह की कहानी उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किलों के बावजूद अपने सपनों को जीने की हिम्मत रखती हैं। अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी के बावजूद, उन्होंने ताइक्वांडो को अपना करियर चुना और आज एक इंटरनेशनल ताइक्वांडो रेफरी बन गई हैं।
खेल से जुड़ने का सफर: जब परिवार ने किया विरोध
🔹 शिवानी का बचपन से ही खेलों की ओर रुझान था, लेकिन अस्थमा की बीमारी ने उनके इस सफर को मुश्किल बना दिया।
🔹 जब उन्होंने ताइक्वांडो को अपनाने का फैसला किया, तो उनके दादा-दादी ने इसका विरोध किया, क्योंकि उन्हें लगा कि यह बीमारी उनकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
🔹 लेकिन शिवानी ने हार नहीं मानी और खुद को इस खेल में साबित करने की ठान ली।
🔹 लगातार कठिन ट्रेनिंग और मेहनत से उन्होंने न केवल ताइक्वांडो में महारत हासिल की, बल्कि इंटरनेशनल ताइक्वांडो रेफरी के रूप में अपनी पहचान भी बनाई।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान
👉 शिवानी अब अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिताओं में रेफरी की भूमिका निभाती हैं।
👉 उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में जज बनकर अपने देश का नाम रोशन किया है।
👉 अस्थमा की बीमारी के बावजूद उन्होंने यह दिखा दिया कि अगर जुनून और हिम्मत हो, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
‘सपने देखने की हिम्मत करो, उन्हें पूरा करने की ताकत खुद आ जाएगी’ – शिवानी
शिवानी का कहना है,
💬 "शुरुआत में मेरी सेहत को लेकर सभी चिंतित थे, लेकिन मैंने खुद को मजबूत रखा और अपने लक्ष्य पर फोकस किया।"
💬 "अगर कोई लड़की किसी भी खेल को चुनना चाहती है, तो उसे समाज की परवाह किए बिना आगे बढ़ना चाहिए।"
महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी शिवानी
✅ शिवानी की यह सफलता उन लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो खेलों में करियर बनाना चाहती हैं।
✅ उनका संघर्ष यह साबित करता है कि शारीरिक या सामाजिक बाधाएं किसी भी लक्ष्य को हासिल करने में आड़े नहीं आ सकतीं।
✅ महिला दिवस पर उनकी यह कहानी सभी को यह संदेश देती है कि आत्मविश्वास और मेहनत से हर मुश्किल आसान हो सकती है।
निष्कर्ष
शिवानी सिंह की कहानी सिर्फ एक सफलता की कहानी नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है। अपने हौसले और मेहनत से उन्होंने साबित कर दिया कि अगर सपना बड़ा हो, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती। उनका यह सफर उन तमाम महिलाओं के लिए एक मिसाल है, जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।