कैलाश सिंह विकास वाराणसी
वाराणसी,! आत्महत्या का विचार व्यक्ति के मन मे कुछ क्षण के लिए ही आता है परन्तु बहुत प्रभावी होता है। आमतौर पर डिप्रेशन आत्महत्या का सबसे प्रमुख कारण बन कर सामने आया है। उक्त बातें बुधवार को डीएवी पीजी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान में "मनो-चिकित्सा संबंधी आपात स्थिति: आत्महत्या विचार का आकलन एवं प्रबंधन" विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सिम्पोजियम में प्रयागराज जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. अजय मिश्रा ने बतौर मुख्य वक्ता कही। डॉ. अजय मिश्रा ने कहा कि वर्तमान समय मे शारिरिक स्वास्थ्य से ज्यादा महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखना है। मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने में मुख्यतः तीन कारक है - पहला जैविक कारण, दूसरा मनोवैज्ञानिक कारण और तीसरा सामाजिक कारण। सामाजिक कारणों में पारिवारिक समस्याएं व्यक्ति को आत्महत्या के लिए जल्दी उकसाती है। डॉ. मिश्रा ने कहा कि नाश व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, ऐसे में खुद को सदैव नकारात्मक माहौल से बचा कर रखे और नशे की लत से बचे। उन्होंने यह भी बतलाया कि आत्महत्या कि धारणा महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में पाई जा रही है और उसका सबसे प्रमुख कारण है पुरुष प्रधान की मानसिकता।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर सत्यगोपाल जी ने कहा कि आत्महत्या नाखुशी और आक्रोश की महामारी का स्वरूप लेता जा रहा है। युवा पीढ़ी में धैर्य की कमी, अंतर्द्वंद, तनाव के कारण आत्महत्या में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि यह हम मनोवैज्ञानिको का दायित्व है कि हम लोग एक मुहिम चला कर ऐसे लक्षणों वाले मरीजों को पहचान कर उनका समुचित इलाज करें और उनके जीवन की रक्षा करे ।
अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ऋचारानी यादव ने पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया। संचालन डॉ. अखिलेन्द्र कुमार सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राजेश कुमार झा ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. कमालुद्दीन शेख़, डॉ. कल्पना सिंह, डॉ. मीनू लाकड़ा सहित बड़ी संख्या छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सिफ़सा द्वारा संचालित युथ फ्रेंडली सेंटर के पीयर प्रशिक्षु भी शामिल रहे।
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