लखनऊ ब्यूरो
लखनऊ। 28 फरवरी
संस्थागत प्रसव बढ़ाने के लिए अस्पतालों को अपग्रेड किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं सुविधाओं में वृद्धि की जा रही है ताकि सिजेरियन व सामान्य प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं को लंबी दूरी का सफर न तय करना पड़े। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मंगलवार को सिजेरियन व सामान्य प्रसव की सुविधा और सरकरी अस्पतालों में बढ़ाने के निर्देश दिए।
सेंटरों का इजाफा, सामान्य प्रसव के साथ सिजेरियन प्रसव की सुविधा में वृद्धि की गई है। अप्रैल 2018 में यूपी के 123 अस्पतालों एफआरयू (फस्ट रेफरल यूनिट) में सिजेरेशन प्रसव की सुविधा थी। नवम्बर 2022 में 256 एफआरयू में सामान्य व सिजेरियन प्रसव की सुविधा शुरू हो गई है। लगभग पांच साल में 108 प्रतिशत एफआरयू सेंटर बढ़ाने में सफलता मिली है। अकेले प्रदेश के 171 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में सिजेरियन व सामान्य प्रसव की सुविधा है। अप्रैल 2018 में महज 55 सेंटर थे। अकेले लखनऊ में आठ शहरी व नौ ग्रामीण सीएचसी में दोनों तरह से प्रसव की सुविधा उपलब्ध है।
*रक्त चढ़ाने की है सुविधा*
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के लिए अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। इसके लिए कई सकारात्मक कदम उठाये गये हैं। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त प्रसव की सुविधा उपलब्ध जा रही है। इसमें अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, पैथोलॉजी समेत दूससरी जाँचें शामिल हैं। कई सेंटरों में प्रसूताओं को रक्त चढ़ाने की व्यवस्था की गई है। शहरी क्षेत्र की प्रसूताओं को 1000 व ग्रामीण क्षेत्र की प्रसूताओं को 1400 रुपये का प्रवाधान है।
*सुधार के लिए उठाए ये कदम*
-विशेषज्ञ डॉक्टरों की एल-2 में सीधे भर्ती का प्रावधान किया गया है। ताकि सीएचसी स्तर पर रोगियों को विशेषज्ञ चिकित्सीय सेवाएं मिल सकें।
-प्रसव के दौरान आपातकालीन जटिलताओं के प्रबंधन के लिए एमबीबीएस डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है।
-आपातकालीन प्रसूति व नवजात शिशु देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मेडिकल कॉलेज के संकाय सदस्य एफआरयू डॉक्टरों की क्लीनिकल ट्रेनिंग दे रहे हैं।
-सीएचसी एफआरयू के लिए जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ पूल का गठन किया गया है।
-कम परफॉरमेंस वाले डॉक्टरों को सीएमई के लिए मेडिकल कॉलेजों में पुन: प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।
-मेडकल कॉलेज के डॉक्टर एफआरयू का भ्रमण करेंगे डॉक्टरों के कामकाज का तौर तरीका देखेंगे। सुधार के लिए कदम उठाये जा रहे हैं।
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