कैलाश सिंह विकास वाराणसी
वाराणसी। डीएवी पीजी कॉलेज के रिसर्च प्रमोशन सेल एवं कला संकाय के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे आठ दिवसीय कला एवं मानविकी पर रिसर्च मेथाडोलॉजी विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला के पांचवें दिन बुधवार को साहित्य संस्कृति : शोध प्रविधि विषय पर व्याख्यान आयोजित हुआ। मुख्य वक्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कुमार वीरेंद्र ने कहा कि कला विषयक शोध का निष्कर्ष बहुआयामी होता है एक रेखीय नही होता है। कोई भी शोध दर्शन, विज्ञान और कला का सामंजस्य है। शोध तर्कपूर्ण विश्लेषण का ही व्यवस्थित स्वरूप है। शोध और आलोचना के फर्क को स्पष्ट करते हुए प्रोफेसर कुमार वीरेंद्र ने कहा कि शोध को आलोचना तक सीमित नहीं करना चाहिए बल्कि पूर्वाग्रह मुक्त अन्वेषण शोध का गहरा दायित्व है।
कार्यशाला में रिसर्च प्रमोशन सेल की समन्वयक प्रोफेसर मधु सिसोदिया मानविकी विशेष रूप से शोध की चुनौतियों के सम्यक मूल्यांकन की अपील की और शोधार्थियों को काफी जागरूक रहकर शोध कार्य करने की सलाह दी। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.राकेश कुमार राम ने किया, स्वागत डॉक्टर समीर कुमार पाठक एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी ने दिया। इस अवसर पर डॉक्टर मिश्रीलाल, डॉ. सतीश कुमार सिंह, डॉक्टर पूनम सिंह, डॉक्टर संगीता जैन, डॉ. प्रशांत कश्यप, डॉ. ओमप्रकाश कुमार, डॉ. संजय कुमार सिंह सहित बड़ी संख्या में कला संकाय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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