कैलाश सिंह विकास वाराणसी
वाराणसी। डीएवी पीजी कॉलेज में बुधवार को आईक्यूएसी के अन्तर्गत पर्यावरण, साहित्य और सिनेमा पर मंथन करने के लिए देश भर के विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानो की जुटान इुई। इस अवसर पर पर्यावरण, शिक्षा एवं अन्य सामाजिक विषयों पर आधारित डाक्यूमेंट्री फिल्में भी दिखाई गयी। डीएवी पीजी कॉलेज, वाराणसी, लिवरम फाउण्डेशन एवं के टू पब्लिकेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय महा सम्मेलन के पहले दिन उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. नीरजा माधव ने कहा कि पर्यावरण को लेकर आज से नही अनादि काल से चिन्ता व्यक्त किया गया है, शास्त्रों - उपनिषदों में भी इस बात का उल्लेख है कि जब तक इस धरा पर पेड़, पौधे, पशु आदि का अस्तित्व है तब तक यहॉ मनुष्य के रहने लायक है। शास्त्रों में पृथ्वी को मॉ का दर्जा दिया गया है ऐसे में मॉ की रक्षा करना हमारा दायित्व है। रामराज्य की परिकल्पना में भी सुन्दर, हरित भूमि की अवधारणा शामिल है अर्थात बिना पर्यावरण के संरक्षण के रामराज्य की परिकल्पना साकार नही हो सकती है।
विशिष्ट वक्ता बीएन मण्डल विवि, मधेपुरा, बिहार के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. नरेश कुमार ने कहा कि पर्यावरण को लेकर चिन्ता जायज है, आवश्यकता है कि हम आने वाली पीढी के लिए कुछ कर जाये, कम से कम एक पौधा अवश्य रोंपे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने के बजाए उनका सकारात्मक उपयोग करें, सोलर एनर्जी और रेन वाटर हार्वेस्टिंग इसका प्रमुख उदाहरण है। महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य प्रो. सत्यगोपाल ने कहा कि मनुष्य और प्रकृति के बीच पर्यावरण एक सेतु की तरह कार्य करता है। पर्यावरण को संरक्षित कर हम इस सम्बन्ध को और प्रगाढ़ बना सकते है। पर्यावरण के साथ स्वयं को जोड़े तो हम मानसिक एवं शारिरिक दोनो दृष्टिकोण से सुखी रहेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महा विद्यालय के मंत्री/प्रबन्धक अजीत कुमार सिंह यादव ने किया। सम्मेलन में विभिन्न सत्रों में प्रो. एके जैन, प्रो. बम्हदेव मण्डल, प्रो. ऋचारानी यादव आदि ने भी विचार रखें। संचालन संयोजक डॉ. विजय यादव ने किया। स्वागत प्रो. प्रशान्त कश्यप एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. समीर कुमार पाठक ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. इंद्रजीत मिश्रा, रूपेश कुमार गुप्ता, डॉ. श्वेता शरण, डॉ. सोनू कुमार, डॉ. अरूणिमा, डॉ. कुमारी अर्चना, बृजेश पाठक सहित बड़ी संख्या में विद्वतजन, शोधार्थी, साहित्यकार आदि उपस्थित रहे।
*फिल्म प्रदर्शनी में दिखी स्वच्छ भारत की तस्वीर*- महासम्मेलन में तीसरे सत्र में आयोजित फिल्म प्रदर्शनी में कई फिल्मों का प्रदर्शन हुआ। मॉ गंगा की दशा दिखाती शार्ट फिल्म ‘स्वच्छ भारत, स्वच्छ मन‘ ने दर्शकों के अन्तर्मन पर गहरी छाप छोड़ी। गंगा में गिरते कचरे से जो हालात बन रहे उसका मर्म दिखलाया गया। वहीं राघवेन्द्र पाठक निर्देशित ‘भुलक्कड़‘ में वरिष्ठजनों में होने वाली भूलने की बीमारी की कहानी दिखलाई पड़ी। इसके अलावा भी कई अन्य शार्ट फिल्मों का प्रदर्शन हुआ।
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