कृपा शंकर चौधरी
भोजपुरी पुनर्जागरण मंच देवरिया के संयोजक नरसिंह ने कतिपय संगठनों के द्वारा उठाई जा रही पुर्वांचल राज्य की मांग को खारिज करते हुए कहा कि यह मांग कहीं से भी युक्ति संगत और व्यवहारिक नहीं है। पुर्वांचल जिसको कहा जा रहा है वह भारत के पूर्वी क्षेत्र में नहीं आता है,भारत का पूर्वांचल नहीं है। सामाजिक,सांस्कृतिक,भौगौलिक,राजनैतिक और प्रशासनिक दृष्टि से भी इस क्षेत्र का सम्बन्ध पूर्वी भारत के साथ न आज है न कभी था।इसप्रकार भारतीय गणराज्य के रूप मे पूर्वांचल शब्द न केवल पूर्णतयः अव्यवहारिक है,बल्कि असंगत भी है।प्राचीन भारत मे काशी राज के नाम विख्यात यह क्षेत्र आज भोजपुरियो की पहचान और अस्मिता से जुड़ा हुआ है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर से भी भोजपुरियों का योगदान काफी महत्वपूर्ण है।आज भोजपुरी क्षेत्र के रूप मे जाना जाने वाला यह प्राचीन काशी राज्य हमारे पुरखों की धरोहर और विरासत है।भोजपुरियों की सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक, राजनैतिक पहचान वाले इस भोजपुरी भाषा-भाषी उत्तर प्रदेश के सत्रह और बिहार के नौ जिलों को मिलाकर भोजपुर राज्य बनाना न केवल युक्ति संगत है बल्कि व्यवहारिक भी है। यह क्षेत्र राज्य बनाने की सभी शर्तों को पूरा करता है। जैसे समान भाषा और संस्कृति,समान आर्थिक क्षमता,समान आर्थिक समस्या,समान भौगोलिक स्थिति,समान नस्ल,समान भावात्मक विरासत। आजादी के बाद इस क्षेत्र की घोर उपेक्षा की गई,फलतः अपने वैभव और वैदुष्य मे विश्व-विख्यात यह क्षेत्र आज महज मजदूरों की मंडी बन के रह गया है।आज जरूरत है भोजपुर राज्य का गठन करके इस क्षैत्र की गौरवशाली अतीत को पुनर्स्थापित किया जाय।
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