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भारतवर्ष के इतिहास के सबसे कम उम्र,१३ वर्ष के अमर बलिदानी शहीद रामचन्द्र विद्यार्थी जी की पुण्यतिथि दिनाँक १४ अगस्त को है। उनके देशप्रेम, त्याग एवं आत्मसमर्पण के लिए कोटि-2 नमन एवं अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि जन-जन देने को तैयार हैं।
शहीद रामचंद्र विद्यार्थी का जन्म १ अप्रैल १९२९ को उत्तर प्रदेश राज्य के "देवरिया जिले" के "नोतन हथियागड़" गांव में हुआ था। इनके माता का नाम श्रीमती मोतिरानी देवी एवं पिता का नाम श्री बाबूलाल प्रजापति था। इनके पिता जी मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते थे। इनके चार पुत्र गोपीनाथ प्रजापति, रामबड़ाई प्रजापति, रामपरोज प्रजापति एवं रामचंद्र प्रजापति थे।
बालक रामचंद्र बचपन से ही देश के प्रति समर्पित थे। १४ अगस्त १९४२ को देवरिया ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कार्यालय,कचहरी पर भारतीय तिरंगा फहराने के लिए स्कूल से विद्यार्थियों को लेकर पैदल ही चल पड़े,रास्ते में आंदोलनकारियों का ज़ुलूस जुड़ता गया। सभी स्कूल एवं कालेज कॉलेज बंद हो गए। सरकारी कचहरी पर पहुँचते ही रामचंद्र विद्यार्थी ने तिरंगा फहराने की घोषणा की,सभी विद्यार्थियो ने पिरामिड बनाकार रामचन्द्र विद्यार्थी को कचहरी पर चढ़ा दिया। रामचन्द्र विद्यार्थी ने अंग्रेजी झण्डे को उतारकर फेंक दिया और भारतवर्ष की जय-जयकार करते हुए भारतीय तिरंगे झण्डे को फ़हराया।
मजिस्ट्रेट ने गोली चलाने का आदेश दे दिया, विद्यार्थी ने आगे बढ़कर कहा की मेरे सीने में चाहे जितनी गोलियाँ चला दो,मेरा लक्ष्य पूरा हो गया है।अंग्रेजो ने तीन गोलियाँ इनके सीने में मारी, बालक रामचन्द्र विद्यार्थी फिर भी भारतवर्ष की जय- जयकार करता रहा और तिरंगे की आन बान एवं शान के लिए शहीद हो गया।
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