उपेन्द्र कुमार पांडेय
आजमगढ़::; प्रदेश के मा.मुख्यमन्त्री जी की पहल पर सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अन्तर्गत आवेदनों/प्रथम अपीलों को ऑनलाइन प्राप्त कर निस्तारण किए जाने तथा जनहित गारण्टी अधिनियम-2011 की प्रक्रिया का व्यापक प्रचार प्रसार किए जाने तथा निस्तारण की प्रक्रिया को सुगम बनाने के दृष्टिगत वृहस्पतिवार को आयुक्त सभागार में मण्डलीय एवं जनपद स्तरीय कार्यालयों में तैनात जन सूचना अधिकारियों एवं प्रथम अपीलीय अधिकारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम राजाराम, सेवानिवृत्त आईएएस, सीनियर रिसोर्स पर्सन आरटीआई की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। प्रदेश के प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा आयोजित उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम को सीनियर रिसोर्स पर्सन आरटीआई डा.राहुल सिंह, मुख्य निरीक्षक, राजकीय कार्यालय, उप्र शासन वीके गंगवार तथा शोध अधिकारी, प्रशासनिक सुधार विभाग विपिन यादव द्वारा उपस्थित अधिकारियों को ऑनलाइन आरटीआई तथा जनहित गारण्टी अधिनियम के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी गयी। प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राजाराम ने कहा कि आवेदनों को ऑनलाइन प्राप्त कर उसका समयबद्ध रूप से निस्तारण किया जाना है, इसलिए आवेदनों के नियमानुसार निस्तारण की दृष्टि से प्रशिक्षण अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कतिपय प्रकरणों में आरटीआई के तहत प्राप्त आवेदनों के निस्तारण में जन सूचना अधिकारियों के समक्ष दिक्कतें आती है एवं असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिससे समयबद्ध निस्तारण प्रभावित होता है, ऐसी दशा में प्रशिक्षण के माध्यम से उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर ऐसे आवेदनों को सुगमता के साथ समयबद्ध रूप से निस्तारित किया जा सकता है।
डा. राहुल सिंह, सीनियर रिसोर्स पर्सन, आरटीआई ने ऑनलाइन आरटीआई ने आवेदनों को प्राप्त करने उसके निस्तारण की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए आवेदन पत्रों के प्रारम्भिक परीक्षण और उसकी पावती, आवेदन के विस्तृत परीक्षण तथा शुल्क की गणना के सम्बन्ध में सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 एवं उप्र सूचना का अधिकार नियमावली-2015 में उल्लिखित धाराओं एवं नियमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी कहा कि ऑनलाइन आरटीआई की समीक्षा सीधे मुख्यमन्त्री कार्यालय से की जा रही है, इसलिए इसके प्रति संवेदनशील रहें तथा ऑनलाइन आरटीआई व्यवस्था का व्यापक रूप से प्रचार प्रसार कराया जाय, ताकि आवेदक उसी के अनुसार आवेदन कर सकें। उन्होंने कहा कि जिन आवेदनों में आवेदक को सूचना उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है, तो ऐसे मामलों में संगत धारा या नियम का आवश्य उल्लेख किया जायेगा। डा.राहुल सिंह ने मांगी गयी सूचना सम्बन्धित लोक प्राधिकरण द्वारा रखे गये नियन्त्रणाधीन अभिलेखों का एक भाग होना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि सूचना इतनी विस्तृत नहीं होनी चाहिए कि उसके संकलन में कार्यालय के दक्षता प्रभावित होती हो। उन्होंने कहा कि प्रायः आवेदकों द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र अत्यन्त विस्तृत होने के कारण जन सूचना अधिकारियों के समक्ष दिक्कतें आती हैं तथा वांछित सूचना की स्थिति भी स्पष्ट नहीं हो पाती है, ऐसी स्थिति में संगत नियम/धारा का उल्लेख करते हुए सूचना देने से मना किया जा सकता है। डा. सिंह ने आवेदन पत्रों के विस्तृत परीक्षण की जानकारी देते हुए बताया कि यदि मांगी गयी सूचना अपने विभाग से सम्बन्धित होने के साथ साथ कुछ बिन्दु दो या दो से अधिक विभागों से सम्बन्धित है तो अपने विभाग से सम्बन्धित सूचना ही दी जायेगी, शेष अन्य विभागों की सूचना के सम्बन्ध में नई नियमावली/ऐक्ट में दी गयी व्यवस्था के तहत कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि नियमावली के अनुसार सूचना प्राप्त करने के लिए अनुरोध में पॉंच सौ से अधिक शब्द नहीं होने चाहिए। डा.सिंह ने सभी जन सूचना अधिकारियों एवं प्रथम अपीलीय अधिकारियों से कहा कि नियमित रूप से अपना ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल देखें और अपडेट करते रहें। यदि किसी अधिकारी का यूजर आईडी पासवर्ड आदि से नहीं प्राप्त हुआ है तो अपने विभाग से शीघ्र मंगा लें।
उत्तर प्रदेश जनहित गारण्टी अधिनियम-2011 के सम्बन्ध में मुख्य निरीक्षक, राजकीय कार्यालय वीके गंगवार ने इस अधियम के तहत कुल 431 सेवायें हैं तथा वर्तमान में पोर्टल पर 48 विभागों की 411 उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा दिये गये निर्देश के अनुपालन में जनहित गारण्टी अधिनियम से सम्बन्धित विभाग अपने कार्यालय पर बोर्ड लगवायें तथा अपने विभाग से सम्बन्धित सेवाओं तथा उसके निस्तारण की पूरी जानकारी बोर्ड पर अंकित करायें। श्री गंगवार ने कहा कि आरटीआई की तरह ही जनहित गारण्टी अधिनियम में भी रजिस्टर रखना होगा तथा प्राप्त आवेदन को तत्काल उसमें दर्ज करना होगा। उन्होंने कहा कि जनहित गारण्टी अधिनियम के तहत आवेदन के लिए को कोई शुल्क देय नहीं होगा। उन्होंने कहा कि प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं द्वितीय अपीलीय अधिकारी के स्तर पर आवेदनों के निस्तारण की समय सीमा का भी बोर्ड पर अवश्य अंकित कराया जाय। श्री गंगवार ने बताया कि समय सीमा के अन्दर आवेदनों के अनिस्तारित रहने की दशा में भारी दण्ड का प्राविधान भी इस अधिनियम के तहत किया गया है। उन्होंने सेवानिवृत्तिक लाभ, मृतक आश्रित सेवा, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, एसीपी आदि के सम्बन्ध में भी अधिकारियों को विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर अपर आयुक्त-प्रशासन केके अवस्थी, संयुक्त विकास आयुक्त धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, मुख्य राजस्व अधिकारी आजमगढ़ विनय कुमार गुप्ता, संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक दिनेश सिंह, उप निदेशक, समाज कल्याण आरके चौरसिया, आरटीओ डा. आरके चौधरी, कार्यालय निरीक्षक प्रज्ञा सिंह, मण्डलीय अर्थ एवं संख्या अधिकारी डा.नीरज श्रीवास्तव, उप निदेशक, महिला कल्याण सहित अन्य मण्डलीय तथा आजमगढ़, मऊ एवं बलिया के जनपदीय अधिकारी उपस्थित थे।
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