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गोरखपुर -: सरकार के मंसूबे पर पानी फेर रहें हैं जिम्मेदार डाक्टर

गोरखपुर -: सरकार के मंसूबे पर पानी फेर रहें हैं जिम्मेदार डाक्टर

कृपा शंकर चौधरी ब्यूरो गोरखपुर 

चौरीचौरा, गोरखपुर। तेजतर्रार स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक द्वारा गरीबों के हित में लिए गए फैसले और विभागीय अधिकारियों को दिए गए दिशा-निर्देश को गोरखपुर के ब्रम्हपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ठेंगा दिखाया जा रहा है। सरकारी दिशा-निर्देश का अवहेलना कर गरीबों को बाहर की दवा लिख अपनी जेब भरने संबंधित खबरें चलने के बाद अब दोषी को बचाने की कवायद शुरू हो गई है। जबकि साक्ष्य चिल्लाकर दोषी को गुनाहगार कह रहे हैं। 

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार की मंशा है कि टीबी जैसी छुआ छूत की बीमारी को जल्द से जल्द समाप्त किया जाए। इसके लिए सरकार टीबी उन्मूलन कार्यक्रम भी चला रही है। इस योजना के तहत चिन्हित टीबी मरीजों को सरकारी अस्पतालों से एटीटी किट निःशुल्क दी जाती है। इसके लिए बड़े पैमाने पर अभियान भी चलाया जा रहा है। लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ब्रम्हपुर पर तैनात डॉक्टर दिलीप सिंह सरकार की मंशा को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। डॉक्टर साहब टीबी के मरीजों को सरकारी अस्पताल से दवा देने के साथ हर मरीज को एक हजार से ढाई हजार कीमत तक की दवा बाहर से लिख रहे हैं। पिछले कई माह से मिल रही शिकायतों की जब शुक्रवार को पड़ताल की गई तो इस मामले का खुलासा खुद मरीजों के पर्चों व उनके बयानों ने कर दिया। शुक्रवार को दिन में 11 बजे टीबी मरीज 66 वर्षीय राजधानी निवासी बेचन यादव जमीन पर लेटे कराह रहे थे। उनके परिजन लालबहादुर डॉक्टर का पर्चा लेकर आये तो पूछने पर बताया कि बाहर से 890 रुपए की दवा खरीदा हूं। गजाइकोल निवासी 32 वर्षीय धर्मेंद्र कमर दर्द का इलाज पिछले तीन माह से करा रहा है। हर सप्ताह वह पांच दवा बाहर से खरीदता है। इसी तरह इस अस्पताल पर इलाज कराने वाले टीबी के मरीज तेनुआ निवासी 54 वर्षीय जोखन को बाहर से 6 दवा बाहर से, टीबी की मरीज सहसराव निवासी 18 वर्षीय निशा वर्मा को 5 दवा बाहर से, टीबी के मरीज राजी विश्वनाथपुर निवासी 50 वर्षीय रामहित को 4 दवा बाहर से, राजी जगदीशपुर निवासी 70 वर्षीय मोहबी निषाद को 7 दवा बाहर से, टीबी मरीज करौता निवासी 70 वर्षीय गुलाब को 7 दवा बाहर से लिखा जा रहा है। इसके अलावा पलिपा की राजदेई को 5 दवा, सौलाभारी की अनन्या को 10 दवा बाहर से लिखा गया पर्चा मिला है। बताया जाता है कि डॉक्टर दिलीप सिंह टीबी के मरीजों को पहले सरकारी दवा न चलाकर अपनी दवा चलाते हैं बाद में सरकार की निःशुल्क दवा लिखते हैं। लेकिन उसके साथ बाहर की दवा लिखना नहीं भूलते हैं। 

इस संबंध में खबर छपी तो स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की बात कही गई किन्तु अब मामले को निबटाने की सुगबुगाहट आ रही है। ध्यान रहे इस तरह के गैर जिम्मेदाराना काम के लिए स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक खिलाफ रहे हैं। ऐसे व्यक्ति पर त्वरित कार्रवाई नहीं हुई तो आगे परिपाटी चलने से इंकार नहीं किया जा सकता है।



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