Test Ad
पितरों की अभ्यर्थना से आती है सुख समृद्धि- पंडित शिवपूजन चतुर्वेदी

पितरों की अभ्यर्थना से आती है सुख समृद्धि- पंडित शिवपूजन चतुर्वेदी

कैलाश सिंह विकास वाराणसी 

पितृपक्ष का पहला श्राद्ध 11 सितंबर को, 25 को पितृ विसर्जन

वाराणसी !विख्यात ज्योतिर्विद् एवं वैदिक शोधकर्ता पंडित शिवपूजन चतुर्वेदी ने बताया कि पितृपक्ष में पितरगण स्वर्ग से धरती पर आते हैं और अपनी संतानों का अपने प्रति श्रद्धा तथा प्रेम के साक्षी बनते हैं। प्रसन्न होकर वे अपनी संततियों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देकर लौटते हैं। इस काल में यदि संतानों द्वारा उपेक्षा मिलती है तो वे अत्यंत दुखी होते हैं और पितृदोष उत्पन्न होता है। पितृदोष अनिष्टकारी सिद्ध होता है। इसलिए पितृपक्ष में सामर्थ्य के अनुसार पितरगण का तर्पण एवं अभ्यर्थना करना कल्याणकारी होता है।

शास्त्रों में मनुष्यों के लिए देव ऋण, ऋषि ऋण, पितृ ऋण बताए गए हैं। कारण यह कि जिन माता-पिता ने हमारी आयु-आरोग्यता, सुख-सौभाग्यादि की वृद्धि के लिए अनेकानेक प्रयास किए उनके ऋण से मुक्त न होने पर हमारा जन्म ग्रहण करना निरर्थक होता है। इसीलिए पितरों के प्रति श्रद्धा समर्पित करने को पितृ पक्ष का प्रावधान किया गया है।

पंडित जी ने बताया कि वर्तमान वर्ष में पितृपक्ष 11 सितंबर को प्रारंभ हो रहा है और 25 सितंबर को अमावस्या के दिन पितृविसर्जन के साथ संपन्न होगा।

उन्होंने बताया कि आश्विन कृष्ण प्रतिपदा 10 सितंबर को दोपहर 3.46 बजे लग रही जो 11 सितंबर को दोपहर 2.15 बजे तक रहेगी। इससे पितृ पक्ष का पहला श्राद्ध 11 सितंबर को होगा

पंडित जी नै बताया कि पितर की मृत्यु तिथि को जल, काली तिल, यव, कुश और पुष्प आदि से श्राद्ध संपन्न करने और गो ग्रास देकर न्यूनतम एक, तीन अथवा पांच ब्राह्मणों को भोजन करा देने से पितृ गण संतुष्ट होते हैं पितृऋण से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस सरलता सै संपन्न होने वाले कार्य की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।  

तिथियों की घटत-बढ़त से मुक्त पखवारा

इस बार पितृपक्ष 15 दिनों का पूर्ण होगा। तिथि की हानि-वृद्धि नहीं है। आश्विन अमावस्या तिथि 24-25 सितंबर की रात 2.54 बजे लगेगी जो 26 सितंबर की भोर 3.24 बजे तक रहेगी। 26 सितंबर को ही प्रातः आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि मिलने से नवरात्र का प्रारंभ माना जाएगा।

पितृ पक्ष में विशेष तिथियां

मातृ नवमी (19 सितंबर) तिथि विशेष पर माता की मृत्यु तिथि ज्ञात न होने पर श्राद्ध का विधान है।

आश्विन कृष्ण द्वादशी (22 सितंबर) साधु, यति, वैष्णव का श्राद्ध

आश्विन कृष्ण चतुर्दशी (24 सितंबर) किसी दुर्घटना में मृत व्यक्तियों का श्राद्ध

सर्व पैत्री अमावस्या (25 सितंबर) अज्ञात तिथि, जिस मृतक की तिथि ज्ञात न हो या अन्यान्य कारणों से नियत तिथि पर श्राद्ध न कर पाने के कारण तिथि विशेष पर श्राद्ध

पितृ विसर्जनः रात में मुख्य द्वार पर दीपक जलाकर पितृ विसर्जन किया जाता है।

श्राद्ध दिन तारीख

प्रतिपदा रविवार 11 सितंबर

द्वितीया सोमवार 12 सितंबर

तृतीया मंगलवार 13 सितंबर

चतुर्थी बुधवार 14 सितंबर

पंचमी गुरुवार 15 सितंबर

षष्ठी शुक्रवार 16 सितंबर

सप्तमी शनिवार 17 सितंबर

अष्टमी रविवार 18 सितंबर

नवमी सोमवार 19 सितंबर (मातृ नवमी का श्राद्ध)

दशमी मंगलवार 20 सितंबर

एकादशी बुधवार 21 सितंबर (इंद्रा एकादशी व्रत)

द्वादशी गुरुवार 22 सितंबर (साधु यति वैष्णवों का श्राद्ध)

त्रयोदशी शुक्रवार 23 सितंबर

चतुर्दशी शनिवार 24 सितंबर (शस्त्रादि दुर्घटना आदि से मृत्यु वालों का श्राद्ध)

सर्वपैत्री अमावस्या 25 सितंबर (अज्ञात तिथि वालों या जो लोग नियत तिथि पर श्राद्ध न कर पाए हों उनके लिए श्राद्ध)

पितरों की अभ्यर्थना से आती है सुख समृद्धि- पंडित शिवपूजन चतुर्वेदी
admin
Share: | | |
Comments
Leave a comment

Advertisement

Test Sidebar Ad
Search

क्या है तहकीकात डिजिटल मीडिया

तहकीकात डिजिटल मीडिया को भारत के ग्रामीण एवं अन्य पिछड़े क्षेत्रों में समाज के अंतिम पंक्ति में जीवन यापन कर रहे लोगों को एक मंच प्रदान करने के लिए निर्माण किया गया है ,जिसके माध्यम से समाज के शोषित ,वंचित ,गरीब,पिछड़े लोगों के साथ किसान ,व्यापारी ,प्रतिनिधि ,प्रतिभावान व्यक्तियों एवं विदेश में रह रहे लोगों को ग्राम पंचायत की कालम के माध्यम से एक साथ जोड़कर उन्हें एक विश्वसनीय मंच प्रदान किया जायेगा एवं उनकी आवाज को बुलंद किया जायेगा।

Videos

Get In Touch

Call Us:
9454014312

Email ID:
tahkikatnews.in@gmail.com

Follow Us
Follow Us on Twitter
Follow Us on Facebook

© Tehkikaat News 2017. All Rights Reserved. Tehkikaat Digital Media Pvt. Ltd. Designed By: LNL Soft Pvt. LTD.