बिहार में बड़ा उलटफेर! सरकार गिरने के कयास तेज, प्रशांत किशोर ने खोला मोर्चा
बिहार की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त उथल-पुथल मची हुई है। नीतीश कुमार की सरकार पर संकट के बादल गहराते जा रहे हैं और कई राजनीतिक विश्लेषक इसे बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर मान रहे हैं। इसी बीच, चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) ने खुलकर मोर्चा खोल दिया है। क्या बिहार में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन देखने को मिलेगा? आइए जानते हैं पूरी कहानी।
क्या बिहार में फिर बदलने वाली है सत्ता?
बिहार की राजनीति में गठबंधन बदलना और सरकार गिरना-गिराना कोई नई बात नहीं है। नीतीश कुमार पहले भी कई बार बीजेपी और महागठबंधन के बीच राजनीतिक सफर तय कर चुके हैं। लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है। प्रशांत किशोर की सक्रियता और राज्य की बदलती राजनीति ने इस चर्चा को और हवा दे दी है कि सरकार गिर सकती है।
प्रशांत किशोर पिछले कई महीनों से ‘जन सुराज यात्रा’ निकाल रहे हैं और सरकार की नीतियों पर खुलकर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने बिहार की मौजूदा सरकार को ‘असफल’ करार दिया और जनता से एक नई राजनीतिक धारा को अपनाने की अपील की है। उनकी इस मुहिम को लोगों का समर्थन भी मिल रहा है।
नीतीश सरकार पर संकट क्यों?
1. गठबंधन में दरार
महागठबंधन (JDU-RJD) के बीच अंदरूनी मतभेद लगातार बढ़ रहे हैं। कांग्रेस और वाम दलों की नाराजगी से भी हालात बिगड़ते दिख रहे हैं। अगर सहयोगी दलों ने समर्थन वापस लिया तो नीतीश सरकार मुश्किल में पड़ सकती है।
2. बीजेपी का नया प्लान
बीजेपी ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर करने के लिए तैयार है। अगर महागठबंधन में टूट होती है तो बीजेपी इसका फायदा उठाकर नई सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है।
3. प्रशांत किशोर की चुनौती
प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि वह बिहार में जनता के बीच एक नया विकल्प खड़ा करेंगे। उनके बढ़ते प्रभाव से JDU और RJD को चिंता सताने लगी है।
4. जनता में असंतोष
राज्य में बेरोजगारी, शिक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर लोग पहले ही नाराज हैं। अगर प्रशांत किशोर इस नाराजगी को सही दिशा देते हैं तो बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
क्या प्रशांत किशोर बदल पाएंगे बिहार की राजनीति?
प्रशांत किशोर के सामने कई चुनौतियां हैं। बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण, पुराने राजनीतिक चेहरे और गठबंधन की रणनीति हमेशा अहम रही है। हालांकि, अगर PK अपने संगठन को मजबूत कर लेते हैं और जनता में विश्वास बना लेते हैं, तो वे बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर करने वाले नेता बन सकते हैं।
आगे क्या होगा?
अगले कुछ हफ्ते बिहार की राजनीति के लिए बेहद अहम हैं। अगर महागठबंधन में दरार गहरी होती है या किसी दल ने समर्थन वापस लिया, तो नीतीश सरकार गिर सकती है और बिहार में नए राजनीतिक समीकरण देखने को मिल सकते हैं। दूसरी ओर, प्रशांत किशोर अपनी रणनीति को और आक्रामक बना सकते हैं और जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने में जुट सकते हैं।
बिहार की राजनीति में उथल-पुथल कोई नई बात नहीं, लेकिन इस बार मामला गंभीर है। देखना दिलचस्प होगा कि क्या नीतीश कुमार इस संकट से उबर पाएंगे, या बिहार एक और सियासी उलटफेर का गवाह बनेगा?