संजय लीला भंसाली@62, फिल्म में पैसा लगाकर बर्बाद हुए पिता:घर खर्च के लिए मां ने कपड़े सिले; गुस्से की वजह से FTII से निकाला
भारतीय सिनेमा के दिग्गज संजय लीला भंसाली आज 62 साल के हो चुके हैं। उनकी फिल्मों की भव्यता, कहानी कहने का अंदाज और ऐतिहासिक संदर्भ उन्हें सबसे अलग बनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भंसाली का सफर संघर्षों से भरा हुआ था? उनके पिता ने फिल्म प्रोडक्शन में पैसा लगाया और सब कुछ खो दिया, जिसकी वजह से परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। उनकी मां को घर खर्च चलाने के लिए कपड़े सिलने पड़े। यही नहीं, गुस्से के कारण उन्हें FTII (Film and Television Institute of India) से भी निकाल दिया गया।
पिता के कर्ज और मां की मेहनत से सीखा संघर्ष
संजय लीला भंसाली का जन्म 24 फरवरी 1962 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता नवीन भंसाली फिल्म प्रोड्यूसर थे, लेकिन एक फिल्म में पैसा लगाकर बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा। इस असफलता ने पूरे परिवार की जिंदगी बदल दी। आर्थिक संकट इतना बढ़ गया कि उनकी मां लीला भंसाली को सिलाई करके घर चलाना पड़ा। यही वजह है कि संजय को बचपन से ही मुश्किल हालातों से जूझना पड़ा।
गुस्से के कारण निकाले गए FTII से
संजय बचपन से ही सिनेमा के प्रति जुनूनी थे। उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) में एडमिशन लिया। हालांकि, वहां उनका तेज गुस्सा उनके करियर के आड़े आ गया। वह किसी भी चीज से समझौता नहीं करते थे, जिसके कारण उन्हें FTII से निकाल दिया गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे।
संघर्ष से मिली सफलता
अपने करियर की शुरुआत में संजय लीला भंसाली ने विदु विनोद चोपड़ा के साथ काम किया, लेकिन उनकी असली पहचान "खामोशी: द म्यूजिकल" (1996) से बनी। हालांकि, फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। इसके बाद "हम दिल दे चुके सनम" (1999) ने उन्हें इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया। फिर "देवदास", "बाजीराव मस्तानी", "पद्मावत" और "गंगूबाई काठियावाड़ी" जैसी फिल्मों ने उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में शुमार कर दिया।
भंसाली की खासियत
✔ भव्य सेट और शानदार विजुअल्स
✔ म्यूजिक और कहानी का अनोखा संयोजन
✔ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जोर
✔ परफेक्शन के लिए मशहूर
निष्कर्ष
संजय लीला भंसाली का सफर संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और जुनून से भारतीय सिनेमा में एक अलग पहचान बनाई। आज भी उनकी फिल्मों का इंतजार किया जाता है और वह परफेक्शन और भव्यता के प्रतीक बने हुए हैं।