प्रयागराज में गंगा–यमुना का पानी स्नान लायक नहीं: सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 73 जगहों के पानी की टेस्टिंग की, NGT में रिपोर्ट पेश किया
प्रयागराज में गंगा और यमुना के पानी की स्थिति एक बार फिर से गंभीर चिंता का विषय बन गई है। हाल ही में, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) द्वारा की गई जांच में पाया गया कि गंगा और यमुना नदियों का पानी स्नान के लिए सुरक्षित नहीं है। यह रिपोर्ट अब राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) में पेश की गई है, जिससे पर्यावरण और जल संसाधन विशेषज्ञों की चिंता और बढ़ गई है।
पानी की गुणवत्ता की जांच
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने प्रयागराज के 73 प्रमुख स्थानों पर पानी की गुणवत्ता का परीक्षण किया, जिसमें गंगा और यमुना के संगम स्थल सहित अन्य स्थानों का पानी शामिल था। परीक्षण के दौरान यह पाया गया कि नदियों के पानी में प्रदूषण के स्तर बहुत अधिक हैं, जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बन सकते हैं। इससे यह स्पष्ट हो गया कि इन नदियों का पानी अब उस स्थिति में नहीं है कि इसमें स्नान किया जा सके।
प्रदूषण के कारण
प्रदूषण के बढ़ते स्तर के प्रमुख कारणों में औद्योगिक अपशिष्ट, नाले का गंदा पानी, और कचरा डालने की गतिविधियाँ शामिल हैं। इसके साथ ही धार्मिक मेलों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना और बिना किसी उचित सफाई व्यवस्था के गंगा और यमुना में जलाशयों का भरना भी प्रदूषण को बढ़ाने में योगदान दे रहा है। इन नदियों में डाले जा रहे अपशिष्ट और कचरे ने पानी को प्रदूषित किया है, जिससे स्नान के लिए यह असुरक्षित हो गया है।
NGT की सख्ती
इस रिपोर्ट के बाद, NGT ने सख्त चेतावनी दी है और स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि वे जल गुणवत्ता सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाएं। इसे लेकर विभिन्न सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे गंगा और यमुना में बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए योजनाओं को लागू करें। इसके अलावा, NGT ने इस मामले की नियमित निगरानी करने का आदेश दिया है।
समाधान की दिशा
जल की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए पानी की शुद्धता के उपाय, प्रदूषण नियंत्रण और सार्वजनिक जागरूकता जैसे कदम उठाने की जरूरत है। इसके साथ ही गंगा और यमुना के किनारे बसे इलाकों में स्वच्छता अभियान चलाकर इन नदियों की स्थिति को सुधारा जा सकता है।