अमेरिका में एक बार फिर मंडरा रहा शटडाउन का खतरा, ट्रंप सरकार पर उठ रहे सवाल
डेस्क न्यूज़
वॉशिंगटन। अमेरिका पर एक बार फिर से सरकारी शटडाउन का खतरा गहराने लगा है। सात साल बाद यह पहला मौका होगा, जब फंडिंग संकट की वजह से कई अहम सेवाएं ठप होने की कगार पर पहुंच सकती हैं। वर्ष 2018 में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में 34 दिनों तक चला शटडाउन अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा था। इस बार हालात और गंभीर बताए जा रहे हैं, क्योंकि ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वे इस संकट के बहाने लाखों सरकारी कर्मचारियों की छंटनी और कई योजनाओं को स्थायी रूप से बंद कर सकते हैं।
क्या होता है शटडाउन?
अमेरिकी सरकार के विभागों और योजनाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए हर साल अरबों डॉलर की फंडिंग की जरूरत होती है। यह फंडिंग कांग्रेस में बजट या बिल पास कराकर ही मिलती है। यदि राजनीतिक गतिरोध या टकराव के कारण समयसीमा के भीतर बजट पारित नहीं हो पाता, तो सरकार के पास खर्च करने का कानूनी आधार नहीं बचता। ऐसे में गैर-जरूरी सेवाएं रोक दी जाती हैं। इस स्थिति को ही "सरकारी शटडाउन" कहा जाता है।
असर कितना बड़ा?
शटडाउन की स्थिति में लाखों सरकारी कर्मचारियों को बिना वेतन घर बैठना पड़ता है, वहीं आम जनता को मिलने वाली कई जरूरी सेवाएं भी बाधित हो जाती हैं। ट्रंप प्रशासन इस बार इसे स्थायी कटौती और छंटनी में बदलने की तैयारी करता दिख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऐसा हुआ तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था और सामाजिक तंत्र पर गहरा असर पड़ेगा।
ट्रंप की रणनीति पर सवाल
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप इस संकट का इस्तेमाल अपनी नीतियों को लागू करने और "गैर-जरूरी विभागों" को बंद करने के लिए कर सकते हैं। हालांकि, विपक्ष और कर्मचारी संगठन इसे देश की स्थिरता और रोजगार सुरक्षा पर बड़ा हमला
बता रहे हैं।