गेहूं में मंडूसी से पैदावार पर बड़ा खतरा! किसान शुरू से बरतें सावधानी, जानें पूरी रणनीति
कृपा शंकर चौधरी
गेहूं की फसल में मंडूसी (गुल्ली-डंडा) जैसे खरपतवार शुरुआत में नजर नहीं आते, लेकिन यही फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। हल्के रंग के पतले पौधे, जड़-तने से निकलने वाला लाल रस और जमीन के पास लालिमा—ये मंडूसी की मुख्य पहचान है। समय पर पहचान और नियंत्रण ही उपज बचाने का सबसे प्रभावी तरीका है।
🌱 ऐसे करें निगरानी और शुरुआती प्रबंधन
बुवाई के 21 दिन बाद पहली सिंचाई करें।
35 दिन बाद खरपतवारनाशी का छिड़काव दोपहर के समय 200 लीटर पानी प्रति एकड़ में घोल बनाकर करें।
मंडूसी, गेहूं से हल्के रंग की दिखाई देती है—ध्यान से देखने पर पहचान आसान होती है।
🧪 खरपतवार नियंत्रण: वैज्ञानिक सलाह
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल खिप्पल के मुताबिक—
खरपतवार-रहित बीज से ही बुवाई करें।
छिड़काव सही मात्रा, सही समय और सही तकनीक से करें।
30–35 दिन के अंदर पहला छिड़काव अवश्य।
फसल चक्र में बरसीम, जई जैसी हरी चारा फसलों का समावेश करें।
जीरो टिलेज बुवाई से पहले ग्लाइफोसेट या प्री-एमर्जेंस दवा डालें।
सल्फासल्फ्यूरॉन अथवा सल्फासल्फ्यूरॉन+मैटसल्फ्यूरॉन का प्रयोग पहली सिंचाई से पहले करें।
🌾 पीला रतुआ: मौसम बदलते ही सतर्क रहें
उत्तर भारत में यह रोग गेहूं को भारी नुकसान पहुंचाता है।
800 ग्राम मैन्कोजेब (M-45) को 200 लीटर पानी प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें।
जरूरत होने पर 10–15 दिन बाद दूसरा छिड़काव करें।
⚠️ इन गलतियों से बचें
क्लोडिनफॉप / फिनोक्सापॉप / फिनोक्साइडेन को 2,4-D के साथ न मिलाएं।
2,4-D का उपयोग पहले छिड़काव के एक सप्ताह बाद करें।
अनुशंसित मात्रा से कम-ज़्यादा छिड़काव न करें।
खेत में खरपतवार को बीज बनने न दें।
👉 किसान समय पर और वैज्ञानिक तरीके से खरपतवार व रोग नियंत्रण कर लें, तो उपज में 20–25% तक बढ़ोतरी संभव है।
इस रबी सीजन में सतर्क रहें, सही कदम उठाएं और फसल को सुरक्षित रखें!