यूपी की बड़ी खबरें: बरेली में पिता की मौत के बाद 16 साल तक बेटा लेता रहा पेंशन, 75 लाख रुपए हड़पे
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक बेटे ने अपने पिता की मौत के बाद 16 साल तक पेंशन प्राप्त की और इस दौरान लगभग 75 लाख रुपए की रकम हड़प ली। यह मामला पूरी तरह से पेंशन घोटाला के रूप में उभर कर सामने आया है, जिसमें बेटे ने पिता की मृत्यु के बाद उनकी पेंशन प्राप्त करना जारी रखा, और अधिकारियों की मिलीभगत से यह रकम उसका हिस्सा बनती चली गई।
घोटाले की शुरुआत और सच्चाई का खुलासा
यह घोटाला तब शुरू हुआ जब 2005 में उस व्यक्ति के पिता की मृत्यु हो गई, जो पेंशन प्राप्त करने का हकदार थे। पिता की मौत के बाद बेटे ने यह दावा किया कि वह अभी भी जीवित हैं और उनका पेंशन जारी रहना चाहिए। उसने सरकारी दस्तावेजों में फर्जी तरीके से अपने पिता के जीवित होने की जानकारी दर्ज कराई और पेंशन जारी रखने का तरीका खोज लिया।
इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि यह घोटाला स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से संभव हो सका। इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पेंशन का भुगतान सामाजिक सुरक्षा के नाम पर जारी रखा, जबकि असल में मृत व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं था। यह घोटाला तब सामने आया जब नौकरी से संबंधित दस्तावेज और बैंक रिकॉर्ड की जांच की गई।
फर्जी दस्तावेजों के जरिये पेंशन की हेराफेरी
पेंशन के भुगतान के लिए बेटे ने कई फर्जी दस्तावेज तैयार किए, जिनमें उसके पिता के जीवित होने का प्रमाण दिखाया गया। इस धोखाधड़ी को उन्होंने बड़े पैमाने पर किया और 75 लाख रुपए तक की रकम बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर ली। इस रकम का इस्तेमाल बेटे ने अपनी निजी जरूरतों और अन्य खर्चों के लिए किया, जबकि असल हकदार व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी थी।
आगे की कार्रवाई और न्याय की प्रक्रिया
जैसे ही इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ, स्थानीय पुलिस और समान्य प्रशासन ने मामले की जांच शुरू की है। आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, और पेंशन हड़पने के आरोप लगाए गए हैं। अब इस मामले में संबंधित अधिकारियों की भी जांच की जाएगी कि किस तरह उन्होंने इस धोखाधड़ी को जाने-अंजाने में बढ़ावा दिया।
यह घटना हमें यह सिखाती है कि सरकारी योजनाओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार से बचने के लिए सख्त निगरानी और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। इस प्रकार के घोटाले समाज की आर्थिक व्यवस्था और सरकारी विश्वास को कमजोर करते हैं।