महाकुंभ के बाद कहां जाते हैं अखाड़ों के नागा साधु?
रविंद्र पुरी बोले- पुलिस सिस्टम की तरह होती है तैनाती, नए साधु करेंगे 12 साल की तपस्या
महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं, और इसके साथ ही एक बड़ा सवाल फिर से चर्चा में है – महाकुंभ के बाद अखाड़ों के नागा साधु कहां जाते हैं? इस सवाल का जवाब जूना अखाड़े के प्रमुख महामंडलेश्वर रविंद्र पुरी ने दिया। उन्होंने बताया कि नागा साधु किसी एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहते, बल्कि धर्म और परंपरा के अनुसार अलग-अलग जगहों पर तैनात किए जाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे पुलिस फोर्स तैनात की जाती है।
नागा साधुओं की तैनाती का सिस्टम
रविंद्र पुरी ने बताया कि महाकुंभ खत्म होने के बाद अखाड़ों के नागा साधुओं को अलग-अलग तीर्थ स्थलों, आश्रमों और अखाड़ों में भेज दिया जाता है। ये साधु देशभर के विभिन्न शक्तिपीठों और ज्योतिर्लिंगों पर जाकर साधना और तपस्या करते हैं। कई नागा साधु हिमालय और जंगलों में ध्यान और साधना के लिए भी चले जाते हैं।
12 साल की कठोर तपस्या से बनते हैं नागा साधु
महाकुंभ के दौरान जो नए संत नागा साधु दीक्षा लेते हैं, उन्हें 12 साल तक कठोर तपस्या करनी होती है। इस दौरान वे समाज से पूरी तरह कटकर रहते हैं और सन्यासी जीवन का पालन करते हैं। इस कठिन तपस्या के बाद ही वे अखाड़ों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर पाते हैं।
नागा साधु क्यों रहते हैं नग्न?
नागा साधु भौतिक सुखों का त्याग कर देते हैं और नग्न रहकर भगवान शिव की साधना करते हैं। वे यह दिखाते हैं कि संसार की किसी भी वस्तु से उनका कोई मोह नहीं है। उनके लिए सबसे बड़ा उद्देश्य आत्मज्ञान और मोक्ष प्राप्त करना होता है।
महाकुंभ के बाद क्या करते हैं नागा साधु?
- तीर्थ स्थलों की यात्रा: नागा साधु देशभर के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर रुकते हैं और साधना करते हैं।
- अखाड़ों की देखरेख: कुछ साधु अपने-अपने अखाड़ों में रुककर व्यवस्थाएं संभालते हैं।
- हिमालय में तपस्या: कई नागा साधु हिमालय की कंदराओं में जाकर कठोर तप करते हैं।
- धार्मिक आयोजनों में भागीदारी: नागा साधु कई बड़े धार्मिक आयोजनों और पर्वों में शामिल होते हैं।
महाकुंभ और नागा साधुओं की परंपरा
महाकुंभ के दौरान नागा साधु पहली बार आम लोगों के सामने आते हैं और शाही स्नान करते हैं। इसके बाद वे पुनः अपनी तपस्या में लीन हो जाते हैं। उनकी यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है।