अमेरिका आया खुलकर यूक्रेन के साथ, रूस पर और बढ़ेगा दबाव
                            
                            
                              
डेस्क न्यूज़ 
वाशिंगटन/कीव। रूस-यूक्रेन युद्ध में अब अमेरिका ने अपना रुख और स्पष्ट कर दिया है। लंबे समय से सैन्य और आर्थिक मदद करने के बाद अब अमेरिका ने यूक्रेन को रूस के भीतर गहरे लक्ष्यों को साधने के लिए खुफिया सहयोग देने का निर्णय लिया है। ताज़ा रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका यूक्रेन को रूस के ऊर्जा संयंत्रों, पाइपलाइनों और पावर स्टेशनों जैसे महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमले की योजना बनाने में जानकारी मुहैया कराएगा।
टॉमहॉक मिसाइलों पर भी विचार
मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि अमेरिका अब यूक्रेन को लंबी दूरी की “टॉमहॉक” क्रूज़ मिसाइलें देने पर भी विचार कर रहा है। अगर यह कदम उठाया जाता है तो यूक्रेन को रूस के अंदर गहरे ठिकानों को निशाना बनाने की क्षमता मिल जाएगी। अभी तक अमेरिका यूक्रेन को इस तरह की क्षमता उपलब्ध कराने से हिचकता रहा है।
रूस की कड़ी प्रतिक्रिया
क्रेमलिन ने अमेरिका के इस फैसले पर नाराज़गी जताई है। रूसी अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका और नाटो पहले से ही यूक्रेन की हर स्तर पर मदद कर रहे हैं और यह कदम सीधे युद्ध में गहरे हस्तक्षेप की ओर इशारा करता है। रूस ने चेतावनी दी है कि ऐसे निर्णयों से हालात और बिगड़ सकते हैं।
नाटो की भूमिका पर सवाल
रूस का आरोप है कि अमेरिका की अगुवाई में नाटो देश यूक्रेन के साथ मिलकर युद्ध चला रहे हैं। हाल ही में रूस ने कहा कि नाटो की भूमिका अब छिपी नहीं रही बल्कि पूरी तरह स्पष्ट है। वहीं अमेरिका का मानना है कि यूक्रेन को दी जा रही यह मदद रक्षात्मक कदम है, ताकि रूस के लगातार बढ़ते हमलों का मुकाबला किया जा सके।
विश्लेषण: क्यों बदला अमेरिका का रुख?
विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन की स्थिति पिछले महीनों में कठिन होती जा रही थी। रूस की बढ़ती सैन्य कार्रवाइयों और ऊर्जा ठिकानों पर हमलों के कारण यूरोप में भी दबाव बढ़ा। अमेरिका और पश्चिमी देशों पर यह दबाव था कि वे खुलकर और ठोस कदम उठाएं।
इस खुफिया सहयोग को अमेरिका की नई रणनीति माना जा रहा है, जिसमें अब वह केवल आर्थिक या मानवीय सहायता तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि युद्ध की दिशा प्रभावित करने वाली सूचनाएँ और हथियार भी देगा।
आगे की राह
अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह घटनाक्रम बड़ा बदलाव है। अगर यूक्रेन को टॉमहॉक मिसाइलें मिल जाती हैं तो युद्ध का दायरा और गहरा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे रूस और पश्चिम के बीच तनाव नई ऊँचाई पर पहुँच सकता है।