धर्म की स्थापना के लिए लेते हैं प्रभु अवतार : लवकुश जी महाराज
रिपोर्ट - राकेश, सरदारनगर (गोरखपुर)
गोरखपुर। चौरीचौरा थाना क्षेत्र के सरदारनगर ब्लॉक अंतर्गत डुमरी खास गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान रूपी अमृत वर्षा में मंगलवार को कथा व्यास लवकुश जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के अवतार की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है, तब-तब प्रभु धर्म की स्थापना के लिए अवतार लेते हैं।
उन्होंने बताया कि जब कंस के अत्याचारों से समूचा संसार त्रस्त हो गया, तब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण रूप में अवतार लिया। श्रीकृष्ण देवकी और वसुदेव की आठवीं संतान थे। कंस ने देवकी को कारागार में डाल दिया था क्योंकि आकाशवाणी हुई थी कि देवकी का आठवां पुत्र ही उसका अंत करेगा। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ। वसुदेव जी ने बालक कृष्ण को यमुना पार कर गोकुल में यशोदा माता के यहां पहुंचाया और वहां जन्मी योगमाया को मथुरा ले आए। जब कंस ने कन्या को मारने का प्रयास किया तो वह उसके हाथ से छूटकर आकाश में चली गई और बोली— “हे मूर्ख! मुझे क्या मारेगा, तुझे मारने वाला तो जन्म ले चुका है।”
कथा के दौरान आचार्य संतोष मिश्र, हर्षित देबे और धनंजय पांडेय द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार से वातावरण भक्तिमय हो उठा। कार्यक्रम में मुख्य यजमान श्री शंकर गोंड़ व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती बिंदु देवी रहे। मंच पर नन्हे, पन्ने, रवि कुमार, मनोज कुमार, कुंदन गोंड़, राहुल, रामलवट, गुड़िया, पुनम, जयनाथ, रामप्रवेश, अशोक कुमार, संजय, ऋषिकेश, वृजराज यादव, जगदीश गुप्ता, रमेश सोनकर, सूर्यनाथ निषाद, शिवप्रसाद, रागिनी देवी, अराधना और लक्ष्मी देवी सहित सैकड़ों भक्तों ने कथा रसपान किया।