बिहार चुनाव 2025: कांटे की टक्कर, तीसरा मोर्चा बन सकता है ‘किंगमेकर’
डेस्क न्यूज़
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, राजनीतिक माहौल और भी गर्म होता जा रहा है। सत्ता पक्ष राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी महागठबंधन (RJD-केंद्रित INDIA गठबंधन) के बीच इस बार मुकाबला बेहद कांटे का दिख रहा है। हाल के सर्वेक्षणों और विशेषज्ञों की राय के अनुसार, इस चुनाव में तीसरा मोर्चा — जन सुराज पार्टी (प्रशांत किशोर) — भी अहम भूमिका निभा सकता है।
सर्वे बोले — बेहद करीबी मुकाबला
ताजा सर्वे के मुताबिक NDA को लगभग 41% वोट, जबकि महागठबंधन को 39% वोट मिलने का अनुमान है। इससे साफ है कि किसी भी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलना मुश्किल हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि “यह चुनाव पिछले एक दशक का सबसे अनिश्चित चुनाव” है, क्योंकि न केवल पारंपरिक जातीय समीकरण बदल रहे हैं बल्कि युवा और नए मतदाता बड़ी भूमिका निभाने जा रहे हैं।
प्रशांत किशोर की पार्टी बनी चर्चा का केंद्र
जन सुराज पार्टी (JSP) धीरे-धीरे मैदान में सक्रिय हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर JSP 5 से 10 प्रतिशत वोट भी हासिल कर लेती है, तो परिणाम पूरी तरह पलट सकते हैं। यही वजह है कि JSP को इस चुनाव में संभावित “किंगमेकर” की भूमिका में देखा जा रहा है।
महागठबंधन में सीटों को लेकर खींचतान
उधर, महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर खींचतान तेज है। वामपंथी दलों ने जहां 35 सीटों की मांग की है, वहीं तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की मांग भी उठी है। इससे अंदरूनी मतभेदों के संकेत मिल रहे हैं।
NDA ने की शुरुआती बढ़त की तैयारी
वहीं NDA ने सीट बंटवारे से लेकर प्रचार अभियान तक अपनी तैयारी पहले ही पूरी कर ली है। केंद्र सरकार की महिलाओं को सब्सिडी ट्रांसफर योजना और लाभार्थी योजनाओं को NDA चुनावी मुद्दे के रूप में जोर-शोर से प्रचारित कर रही है।
विशेषज्ञ बोले — उच्च मतदान से तय होगी दिशा
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस बार का परिणाम मतदान प्रतिशत और युवा मतदाताओं की सक्रियता पर निर्भर करेगा। अगर युवाओं और नए वोटरों की भागीदारी बढ़ी तो महागठबंधन को फायदा मिल सकता है।
हालांकि NDA अपने परंपरागत वोट बैंक और योजनाओं के सहारे मुकाबले में मजबूती से टिका हुआ है।
संभावित परिणाम — गठबंधन या साझा सरकार
सर्वे के रुझानों और बदलते समीकरणों को देखते हुए विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में किसी भी गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलना मुश्किल है, और परिणामस्वरूप राज्य में साझा या गठबंधन सरकार बनने की पूरी संभावना है।