भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा देने की मांग तेज, बलिया में संगोष्ठी; जिला इकाई का गठित
निज प्रतिनिधि
बलिया। श्री मुरली मनोहर स्नातकोत्तर महाविद्यालय में रविवार को भोजपुरी पुनर्जागरण मंच के तत्वाधान में “भोजपुरी भाषा आ माटी, मातृभाषा के सवाल” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम में भाषा के संवैधानिक दर्जा, संरक्षण और उसके व्यापक प्रसार को लेकर विस्तार से चर्चा हुई।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मंच के राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा कि भोजपुरी माटी की सुगंध आज विश्वभर में फैल चुकी है। इसका इतिहास गौरवशाली रहा है, फिर भी स्वतंत्रता के दशकों बाद तक इसे संवैधानिक मान्यता नहीं मिल सकी। उन्होंने कहा कि जन-जागरण और संघर्ष को मजबूत कर ही भोजपुरी को उसका हक दिलाया जा सकता है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में भोजपुरी पुनर्जागरण मंच की जिला इकाई का गठन किया गया। नई कार्यकारिणी इस प्रकार घोषित हुई—
संरक्षक: बृजमोहन प्रसाद अनाड़ी
अध्यक्ष: राघवेन्द्र प्रताप राही
मंत्री: धर्मात्मा यादव
उपाध्यक्ष: अजय श्रीवास्तव
संगठन मंत्री: राजीव कुमार मिश्र
कोषाध्यक्ष: अजीत कुमार
सदस्य: राधेश्याम प्रजापति, गोपाल जी, विनोद कुमार
मार्गदर्शक मंडल: डॉ. भोला प्रसाद आग्नेय, डॉ. राहुल पांडेय, छोटेलाल चौधरी
राष्ट्रीय अध्यक्ष नरसिंह जी ने कहा कि भोजपुरी पूर्ण, स्वतंत्र और प्राचीन भाषा है, जो संस्कृति, सभ्यता और परंपराओं का मूल स्रोत है। लोककला, लोकगीत और साहित्य के माध्यम से यह भाषा किसान, मजदूर, छात्र और नौजवानों के बीच स्वाभाविक रूप से रची-बसी है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी को समाज के हर वर्ग तक मजबूत रूप में पहुंचाना समय की जरूरत है।
संगोष्ठी में रविन्द्र प्रताप सिंह, रमेश तिवारी, प्रो. अशोक सिंह, शशिप्रेम देव, डॉ. अमित कुमार वर्मा, डॉ. राहुल पांडेय, अनिल सिंह सहित कई वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. भोला प्रसाद आग्नेय ने की, जबकि संचालन राघवेन्द्र प्रताप राही द्वारा किया गया। इस अवसर पर सिवान के कोषाध्यक्ष रविंद्र सिंह भी उपस्थित रहे।
संगोष्ठी के अंत में यह संकल्प लिया गया कि भोजपुरी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने और इसके संरक्षण-प्रसार को गति देने के लिए जन-अभियान को व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा।