पिपराइच थाने में 22 साल की ‘अस्थायी तैनाती’—छह महीने का अटैचमेंट दो दशक में बदल गया स्थायी पड़ाव
कृपा शंकर चौधरी
गोरखपुर। जिले में एक हेड कांस्टेबल (दीवान) की तैनाती इन दिनों पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बनी हुई है। वजह—दो दशक से ज्यादा समय से एक ही थाने पर उनकी लगातार मौजूदगी। बताया जाता है कि महराजगंज पुलिस लाइन में उनकी मूल नियुक्ति है, लेकिन वर्ष 2003 में इलाज के लिए किए गए छह महीने के अस्थायी अटैचमेंट ने अब 22 साल का लंबा सफर तय कर लिया है।
जानकारी के अनुसार, महराजगंज में सेवा के दौरान दीवान गंभीर दुर्घटना में घायल हो गए थे। कमर के नीचे गहरी चोट आने के कारण उनकी चलने-फिरने की क्षमता प्रभावित हो गई। उनकी पत्नी ने उस समय उच्चाधिकारियों से इलाज के मद्देनज़र पिपराइच—जो उनका ससुराल भी है—से अटैचमेंट की गुज़ारिश की थी। स्वीकृति मिलते ही दीवान छह माह के लिए पिपराइच भेजे गए, लेकिन यह अवधि दोबारा कभी समाप्त नहीं हुई।
थाने से जुड़े लोगों का कहना है कि दीवान काफी समय से व्हीलचेयर पर रहते हैं और उनकी दैनिक ड्यूटी में उनके भाई सहयोग करते हैं। थाने में आने वाले कई लोग तो सीधे उन्हीं से संपर्क करते हैं। हाल ही में हेड कांस्टेबलों के स्थानांतरण की जारी सूची में भी उनका नाम न होना कई सवाल खड़ा कर रहा है।
विभागीय गलियारों में चर्चा यह भी है कि यदि अटैचमेंट की अवधि खत्म हो चुकी है तो न तो उनकी मूल तैनाती स्थल पर वापसी क्यों हुई और न ही किसी अन्य थाने पर तबादला। वहीं, पिछले महीने उनकी बेटी की सगाई पिपराइच कस्बे के एक मैरेज हॉल में आयोजित की गई, जिसकी भव्यता को लेकर भी महकमे में खूब चर्चाएं रहीं।
लगातार 22 वर्षों से एक थाने पर बने रहने की यह अनोखी स्थिति विभागीय व्यवस्था और प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े कर रही है।