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फसल उत्पादकता बढ़ाने में मृदा जांच निभा रही है महत्वपूर्ण भूमिका

फसल उत्पादकता बढ़ाने में मृदा जांच निभा रही है महत्वपूर्ण भूमिका

 

 तकनीक आधारित खेती की ओर बढ़ते किसान

उपेन्द्र कुमार पांडेय 

आजमगढ़ : बदलते कृषि परिवेश में अब किसान पारंपरिक पद्धतियों से हटकर वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने लगे हैं। इस दिशा में मृदा जांच (Soil Testing) एक अहम कदम बन चुका है, जो सीधे तौर पर फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मृदा की जांच किए बिना खाद देना वैसा ही है जैसे किसी बीमार व्यक्ति को बिना जांच के दवा दे देना।
इरादा फार्म केयर से जुड़े कृषि तकनीकी प्रशिक्षक प्रीतेश मिश्रा बताते हैं, "कई बार किसान सोचते हैं कि अधिक खाद डालने से फसल ज्यादा होगी, लेकिन होता इसका उल्टा है। बिना मृदा की जरूरत जाने डाले गए उर्वरक न केवल पैदावार घटाते हैं, बल्कि जमीन की उपजाऊ शक्ति भी कम कर देते हैं।"
मृदा जांच के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व हैं, उनकी मात्रा कितनी है, और किस तत्व की कमी है। मिश्रा जी बताते हैं कि "एक बार यदि किसान को अपनी मिट्टी की संरचना और पोषण स्तर की सही जानकारी मिल जाए, तो वह बहुत सटीक ढंग से उर्वरकों का इस्तेमाल कर सकता है और खर्च भी घटा सकता है।"
 *गोरखपुर के किसानों* के लिए यह एक बड़ी सुविधा है कि वे ' *इरादा एग्री मार्ट' से जुड़कर नि:शुल्क मृदा जांच करा सकते हैं।* मिश्रा जी का कहना है कि "किसानों को बार-बार खाद बदलने की जगह, मृदा की स्थिति जानकर ही खाद देना चाहिए। इससे न केवल फसल की गुणवत्ता बढ़ती है, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।"
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, मृदा जांच से मिलने वाले लाभ बहुआयामी होते हैं:
- खेत की उर्वरता को लंबे समय तक बनाए रखना
- लागत में कमी और लाभ में वृद्धि
- जल, उर्वरक और संसाधनों का समुचित उपयोग
- फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों में सुधार
इरादा फार्म केयर के डायरेक्टर हेमंत कुमार पाण्डेय का उद्देश्य सिर्फ सेवाएं देना नहीं, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है।वह चाहते हैं कि किसान केवल मेहनती नहीं, बल्कि समझदार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने वाले बनें।"
मृदा परीक्षण की यह सुविधा इरादा एग्री मार्ट के माध्यम से गोरखपुर के ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाई जा रही है, जहाँ किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन भी नि:शुल्क दिया जा रहा है। प्रशिक्षण सत्रों, मोबाइल टेस्टिंग यूनिट और परामर्श शिविरों के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि वे बिना जांच अंधाधुंध उर्वरक प्रयोग न करें।
कई बार देखने में आता है कि एक ही खेत में हर साल एक जैसी फसल लेने से जमीन की पोषक क्षमता घटने लगती है। यदि समय-समय पर मृदा जांच नहीं कराई गई, तो न तो फसल संतुलित होगी और न ही लाभ मिलेगा। मिश्रा जी कहते हैं, "जैसे डॉक्टर जांच के बिना इलाज नहीं करता, वैसे ही किसान को भी बिना जांच के खाद नहीं डालना चाहिए।"

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