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किसानों को उर्वरक नहीं, समाधान चाहिए - प्रीतेश मिश्रा

किसानों को उर्वरक नहीं, समाधान चाहिए - प्रीतेश मिश्रा

 

उपेन्द्र कुमार पांडेय 

आजमगढ़::कृषि क्षेत्र वर्तमान में जिस प्रमुख संकट से जूझ रहा है, वह है रासायनिक उर्वरकों की कमी। यह समस्या केवल उत्पादन की नहीं, बल्कि किसान की आजीविका और देश की खाद्य सुरक्षा से जुड़ी है। इस संदर्भ में  IRADA FARM CARE के कृषि प्रशिक्षक एवं CollCom संस्था के राष्ट्रीय समन्वयक श्री प्रीतेश मिश्रा ने एक जागरूकता लेख प्रस्तुत किया है जिसमें उन्होंने न केवल समस्या को रेखांकित किया है, बल्कि समाधान के व्यावहारिक मार्ग भी सुझाए हैं।
वे कहते हैं कि "भारत जैसे कृषि प्रधान देश में उर्वरकों की कमी केवल एक आपूर्ति की समस्या नहीं है, यह अवसर है कि हम अपनी खेती को टिकाऊ, प्राकृतिक और आत्मनिर्भर बनाएं।"
उन्होंने बताया कि यूरिया, डीएपी और पोटाश जैसे उर्वरकों की कमी के पीछे कई कारण हैं – अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे माल की महंगाई, आयात पर निर्भरता, वितरण में असमानता और कुछ क्षेत्रों में अति उपयोग।
इस संकट से निपटने के लिए वे कुछ महत्वपूर्ण उपाय सुझाते हैं:
- किसानों को चाहिए कि वे जीवामृत, घनजीवामृत, वर्मी कम्पोस्ट, नीम खली जैसे जैविक विकल्प अपनाएं।
- मृदा परीक्षण कराकर फसल की आवश्यकता के अनुसार ही पोषण दें।
- दलहनी फसलों को अपनाकर मिट्टी की नाइट्रोजन आवश्यकता प्राकृतिक रूप से पूरी करें।
- मल्चिंग और फसल चक्र अपनाकर मिट्टी को जीवित और उपजाऊ रखें।
वे उदाहरण देते हुए कहते हैं, "भारत के सिक्किम राज्य ने सिद्ध कर दिया है कि बिना रासायनिक उर्वरकों के भी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। वहाँ की 75,000 हेक्टेयर भूमि पूर्णतः जैविक है और किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में बेहतर दाम मिल रहा है।"
वे आगे जोड़ते हैं, "यदि सिक्किम जैसे छोटे राज्य यह कर सकते हैं, तो भारत के अन्य राज्य क्यों नहीं? हमें बस नीति, प्रशिक्षण और बाज़ार का सहयोग एक साथ देना होगा।"
उनका मानना है कि यह केवल सरकार या वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि किसानों की भागीदारी से ही यह परिवर्तन संभव है।
अंत में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि CollCom संस्था और IRADA FARM CARE मिलकर आगामी समय में किसानों को जैविक खेती, उर्वरक प्रबंधन और प्राकृतिक विकल्पों पर प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेंगे ताकि इस संकट को अवसर में बदला जा सके।
इसके अतिरिक्त, श्री प्रीतेश मिश्रा ने यह भी जानकारी दी कि जीवामृत या अन्य जैविक उत्पादों को सही विधि से तैयार करने हेतु विशेष जानकारी शीघ्र साझा की जाएगी। इस प्रेस को नियमित रूप से फॉलो करें, जिसमें वे सभी को सरल एवं स्थानीय संसाधनों से तैयार होने वाले इन उत्पादों के बारे में विस्तार से बताएंगे।

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