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प्रउत की दृष्टि में जनसंख्या समस्या के  चार समाधान

प्रउत की दृष्टि में जनसंख्या समस्या के चार समाधान

लेखक- करण सिंह शिवतलाव

आज के समय में जनसंख्या वृद्धि को अक्सर एक गंभीर समस्या के रूप में देखा जाता है, जो गरीबी, बेरोजगारी और संसाधनों की कमी का मूल कारण मानी जाती है। पारंपरिक अर्थशास्त्र और सामाजिक सिद्धांतों ने इसे एक बोझ के रूप में चित्रित किया है, जिसके परिणामस्वरूप कई राष्ट्रों ने जनसंख्या नियंत्रण के कठोर उपाय अपनाए हैं। हालाँकि, प्रउत (प्रगतिशील उपयोगी तत्व) एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। प्रउत का मानना है कि मानव शक्ति, अगर सही ढंग से उपयोग की जाए, तो वह बोझ नहीं, बल्कि एक मूल्यवान संसाधन है। असली समस्या जनसंख्या की मात्रा में नहीं, बल्कि उचित आर्थिक, जैविक, मनोवैज्ञानिक और बौद्धिक समाधानों की अनुपस्थिति में है। यह आलेख इसी दृष्टिकोण को विस्तार से समझाता है, यह दर्शाता है कि कैसे जनसंख्या को एक समस्या के बजाय एक अवसर में बदला जा सकता है।

 1.  समाज में आर्थिक सम्पन्नता होनी चाहिए, जिससे लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो सकें

जब जनसंख्या बढ़ती है, तो सबसे बड़ी चिंता भोजन और पोषण की होती है। प्रउत के अनुसार, यह चिंता तभी उत्पन्न होती है जब आर्थिक व्यवस्था शोषण पर आधारित होती है। प्रउत अर्थव्यवस्था का उद्देश्य सभी के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की गारंटी देना है, जिसमें पौष्टिक भोजन भी शामिल है। यह केवल पर्याप्त कैलोरी की उपलब्धता के बारे में नहीं है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण और संतुलित आहार की उपलब्धता के बारे में है।

आर्थिक सम्पन्नता का अर्थ यह है कि प्रत्येक व्यक्ति की क्रय शक्ति इतनी हो कि वह अपने और अपने परिवार के लिए पौष्टिक भोजन खरीद सके। यह स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देकर, सहकारिता को मजबूत करके और शोषण-मुक्त वितरण प्रणाली स्थापित करके संभव है। जब लोगों के पास पर्याप्त आय होती है, तो वे केवल जीवित रहने के लिए संघर्ष नहीं करते, बल्कि अपने स्वास्थ्य और विकास पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।

 2. प्रत्येक व्यष्टि का अच्छा स्वास्थ्य होना चाहिए

जनसंख्या का अच्छा स्वास्थ्य न केवल व्यक्तिगत कल्याण के लिए, बल्कि राष्ट्र के समग्र विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। एक अस्वस्थ समाज अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर सकता। जनसंख्या को एक समस्या के रूप में देखने के बजाय, हमें प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ और मजबूत बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
प्रउत के अनुसार, स्वास्थ्य केवल बीमारी की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि एक समग्र अवस्था है जिसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य शामिल है। इसके लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और किफायती बनाना आवश्यक है। स्वच्छ पानी, स्वच्छता, पौष्टिक भोजन और तनाव-मुक्त वातावरण प्रदान करके हम प्रत्येक व्यक्ति को सशक्त कर सकते हैं। जब लोग स्वस्थ होते हैं, तो वे समाज के उत्पादक सदस्य बन सकते हैं और आर्थिक विकास में योगदान दे सकते हैं।

 3.आम जनता को बेकार की चिंता एवं उद्वेग से मुक्त रखना

जनसंख्या वृद्धि अक्सर तनाव, चिंता और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है। बेरोजगारी, गरीबी और असुरक्षा की भावना लोगों को मानसिक रूप से कमजोर कर देती है। प्रउत का मानना है कि जब व्यक्ति अनावश्यक तनाव और उद्वेग से मुक्त होते हैं, तो वे अपनी रचनात्मक और उत्पादक क्षमताओं का बेहतर उपयोग कर पाते हैं।

जनसंख्या को एक बोझ के रूप में देखने से लोगों में हीन भावना पैदा हो सकती है। इसके विपरीत, उन्हें उचित सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार के अवसर, सम्मानजनक जीवन और भविष्य की सुरक्षा का आश्वासन मिलना चाहिए। जब व्यक्ति सुरक्षित महसूस करते हैं, तो वे समाज और अपने परिवार के कल्याण के लिए अधिक योगदान देने को प्रेरित होते हैं।

 4.  लोगों के बौद्धिक स्तर को उन्नत करना होगा

जनसंख्या को एक बड़ी समस्या के रूप में देखने का एक और कारण यह है कि हम अक्सर शिक्षा के महत्व को नजरअंदाज कर देते हैं। एक शिक्षित और जागरूक आबादी अपने जीवन और समाज के लिए बेहतर निर्णय ले सकती है। जनसंख्या वृद्धि को एक अवसर के रूप में बदलने के लिए, हमें लोगों के बौद्धिक स्तर को बढ़ाना होगा।
प्रउत के अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी देना नहीं, बल्कि व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना है। इसमें नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों को शामिल किया जाना चाहिए। जब लोग शिक्षित और बौद्धिक रूप से उन्नत होते हैं, तो वे न केवल अपनी व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, बल्कि नवाचार, रचनात्मकता और सामाजिक प्रगति में भी योगदान दे सकते हैं। 


जनसंख्या वृद्धि स्वयं में कोई समस्या नहीं है। असली समस्या हमारे सामाजिक और आर्थिक ढांचे की कमियों में निहित है। जनसंख्या को एक बोझ मानने के बजाय, हमें प्रत्येक व्यक्ति को एक मूल्यवान संसाधन के रूप में देखना चाहिए।

प्रउत का दृष्टिकोण एक मौलिक बदलाव की मांग करता है: हमें जनसंख्या नियंत्रण के बजाय मानव शक्ति के सही उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जब हम आर्थिक सम्पन्नता, बेहतर स्वास्थ्य, मानसिक सुरक्षा और उन्नत बौद्धिक स्तर पर ध्यान देंगे, तो जनसंख्या एक समस्या के बजाय एक शक्तिशाली शक्ति बन जाएगी जो मानव समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। अतः, हमें इस सोच से बाहर निकलना होगा कि जनसंख्या समस्या है, और इसके बजाय उन समाधानों पर ध्यान देना होगा जो प्रत्येक व्यक्ति को एक सुखी, स्वस्थ और उत्पादक जीवन जीने में सक्षम बना सकें।

(लेखक प्राउटिष्ट सर्व समाज पार्टी के प्रवक्ता हैं)

 

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