आत्मा ही जीव के बंधन और मोक्ष का कारण : लवकुश जी महाराज
रिपोर्ट – राकेश, सरदारनगर (गोरखपुर)
चौरीचौरा क्षेत्र के सरदारनगर ब्लॉक के डुमरी खास गांव में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन प्रवचन करते हुए पूज्य लवकुश जी महाराज ने कहा कि आत्मा ही जीव के बंधन और मोक्ष का कारण है। उन्होंने कहा कि जब मन ईश्वर में लग जाता है तो वह मुक्तिदाता बन जाता है, लेकिन जब मन सांसारिक विषयों में रम जाता है, तब वही बंधन का कारण बनता है।
महाराज ने कहा कि जब जीव बंधन में रहता है, तब भक्ति और भगवान में विश्वास नहीं जमता। जो व्यक्ति भगवान की शरण में चला जाता है और अपना मन ईश्वर में लगाता है, वह पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। उन्होंने भगवद्गीता का श्लोक उद्धृत करते हुए कहा — “सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।”
कथा में वैदिक पूजन का कार्य आचार्य संतोष मिश्र एवं पं. धनंजय पांडेय ने संपन्न कराया। मुख्य यजमान श्री शंकर गोड़ व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती बिंदु देवी यादव रहीं। इस अवसर पर नन्हेलाल, पन्नेलाल, रवि कुमार, मनोज, कुंदन, राहुल, संजय, राजेश, मीना देवी, अनीता देवी, पूनम, अनुराधा, सूर्यनाथ निषाद, जयनाथ, आरती, ऋषिकेश शर्मा, गोलू निषाद, जितेंद्र, कैलाश, मुन्ना, सतीदेवी, चंद्रावती, सुमित्रा, रामअशीष, गौरीशंकर, रीता देवी, गुंजा, सचितानंद, परमानंद, सावित्री देवी, विन्द्रावती, प्रभाकर सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे और कथा का रसपान किया।