भोजपुरी पुनर्जागरण मंच का प्रथम वार्षिकोत्सव और राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
निज प्रतिनिधि
पडरौना। बाबू बृज बिहारी सिंह स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय सहज बलिया, पडरौना कुशीनगर में दिनांक 16 अक्टूबर 2025 को भोजपुरी पुनर्जागरण मंच का प्रथम वार्षिकोत्सव और राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंच के संस्थापक अध्यक्ष श्री नरसिंह ने अध्यक्षता की। मुख्य अतिथि डॉ. लारी आजाद, विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह और प्रोफेसर चतुर्भुज सिंह थे।
कार्यक्रम का प्रारंभ भोजपुरी पुनर्जागरण मंच का राष्ट्रीय ध्वज फहराकर किया गया, जिसमें भोजपुरी राष्ट्रीय गीत जो रघुवीर नारायण ने लिखा है, उसको गया गया। संगोष्ठी में भोजपुरी पुनर्जागरण मंच के द्वारा भोजपुरी प्रतिभा सम्मान डॉ. विनोद सिंह और प्रहलाद प्रसाद केसरी को उनके संगठनात्मक उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया गया। भोजपुरी साहित्य का उत्कृष्ट सेवा करने के लिए श्री चंदेश्वर शर्मा परवाना को भोजपुरी पहरुवा सम्मान दिया गया।
संगोष्ठी का विषय था भोजपुरी भाषा का सवाल। मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि भोजपुरी हमारी शान, पहचान, अस्मिता और संस्कृति है। इसका सूरज कभी नहीं डूबता है। आज भोजपुरी बोलने वालों की संख्या लगभग 14 करोड़ है, इतनी बड़ी आबादी की मातृभाषा भोजपुरी होने के बाद भी इसको भारत के संविधान में सम्मान नहीं मिला है। भोजपुरी समृद्ध, स्वतंत्र और पूर्ण भाषा है और भारत की अंतर्राष्ट्रीय पहचान है।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह ने कहा कि मातृ भाषाओं का मानव जीवन के विकास में बहुत बड़ा योगदान है। शिक्षा का माध्यम मातृ भाषाओं को बनाया जाना चाहिए, जिससे बच्चों के अंदर विषय वस्तु के ज्ञान में वृद्धि होगी और समझ भी बढ़ेगी।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने भोजपुरी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने की मांग की। प्रोफेसर अवध बिहारी मिश्रा ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बिहार और नेपाल की तराई तक विशाल विभाग पर अधिवास करने वाले लोगों की मातृभाषा भोजपुरी है। इसको संवैधानिक दर्जा निश्चित रूप से मिलना चाहिए।
कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गईं। अतुल कुमार और रविंद्र प्रताप सिंह ने भोजपुरी में गीत सुनाकर लोगों को आनंदित कर दिया। इस अवसर पर सैकड़ों संभ्रांत लोगों और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।