श्रीकृष्ण-सुदामा की अमर मित्रता: श्री लवकुश जी महाराज ने बताया सच्चे संबंधों का अर्थ
राकेश, सरदारनगर (गोरखपुर)
गोरखपुर। चौरीचौरा क्षेत्र के सरदार नगर ब्लॉक अंतर्गत डुमरी खास गांव में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के आठवें दिन बुधवार को कथा वाचक पूज्य श्री लवकुश जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की पावन मित्रता की गाथा सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि सच्ची मित्रता का आधार धन नहीं, बल्कि प्रेम और विश्वास होता है। श्रीकृष्ण और सुदामा का संबंध समाज के लिए आदर्श है।
कथा के दौरान पूज्य लवकुश जी महाराज ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि एक बार सुदामा ने भूख लगने पर अपने हिस्से के साथ भगवान श्रीकृष्ण के हिस्से के चने भी खा लिए थे। उसी के परिणामस्वरूप उन्हें जीवनभर दरिद्रता का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि मित्रता में कभी अमीरी-गरीबी नहीं देखनी चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने जब अपने मित्र सुदामा की दरिद्रता देखी, तो द्वारका नगरी में उनका राजसी स्वागत किया और उन्हें अपने सिंहासन पर बैठाया। सुदामा ने कुछ नहीं माँगा, परंतु भगवान ने उनके लिए तीनों लोकों के द्वार खोल दिए — यही सच्ची मित्रता का प्रतिक है।
कथा में मुख्य यजमान श्री शंकर गोड़ व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती बिंदु देवी सहित नन्हे, पन्ने, रवि कुमार, मनोज कुमार, विश्वनाथ यादव, कुंदन गोड़, राहुल, रामलवट, गुनिया, ज्ञानमती देवी, पूनम, जयनाथ, रामप्रवेश, अशोक कुमार, संजय, ऋषिकेश, वृजराज यादव, जगदीश गुप्ता, रमेश सोनकर, सूर्यनाथ निषाद, शिवप्रसाद, रागिनी देवी, अराधना, लक्ष्मी देवी, जयगोविंद दुबे, रामगोपाल यादव, धीरज यादव, अनुराधा, गीता देवी, सती देवी, गौरीशंकर सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे और कथा का रसपान किया।