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मुख्यमंत्री के व्यवहार पर प्राउटिस्ट सर्व समाज ने जताई आपत्ति, सार्वजनिक स्थलों पर नकाब-हिजाब प्रतिबंध की मांग

मुख्यमंत्री के व्यवहार पर प्राउटिस्ट सर्व समाज ने जताई आपत्ति, सार्वजनिक स्थलों पर नकाब-हिजाब प्रतिबंध की मांग


ब्यूरो 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़े हालिया वीडियो को लेकर प्राउटिस्ट सर्व समाज ने कड़ी आपत्ति जताई है। संगठन ने इस पूरे घटनाक्रम को सामाजिक मर्यादा, महिला सम्मान और सार्वजनिक आचरण से जुड़ा गंभीर विषय बताते हुए सरकार से स्पष्ट कानून बनाने की मांग की है।
प्राउटिस्ट सर्व समाज द्वारा जारी प्रेस वक्तव्य में कहा गया कि एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र लेने आई एक महिला चिकित्सक का नकाब स्वयं हटाना सामाजिक और नैतिक दृष्टि से उचित नहीं है। संगठन का मानना है कि भले ही पहचान की पुष्टि एक प्रशासनिक आवश्यकता हो, लेकिन किसी महिला के व्यक्तिगत आवरण को पुरुष द्वारा स्वयं स्पर्श करना मर्यादा के विपरीत है। यह कार्य किसी महिला अधिकारी के माध्यम से किया जाना चाहिए था। संगठन ने मुख्यमंत्री से इस कृत्य पर संवेदनशीलता दिखाते हुए खेद प्रकट करने की अपेक्षा की है।
प्रेस वक्तव्य में आगे कहा गया कि नकाब और हिजाब जैसी परंपराएं मूल रूप से अरब देशों की भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों से जुड़ी रही हैं। भारत की सामाजिक संरचना, संस्कृति और परिस्थितियां भिन्न हैं। ऐसे में इन परंपराओं का सार्वजनिक जीवन और सरकारी कार्यों में प्रदर्शन आधुनिक और प्रगतिशील समाज की अवधारणा से मेल नहीं खाता।
संगठन ने स्पष्ट किया कि वह महिलाओं के सर्वांगीण विकास, समानता और आत्मसम्मान में विश्वास करता है। शिक्षित और कार्यरत महिलाओं के लिए चेहरा ढकने की कोई भी प्रथा—चाहे वह नकाब हो, हिजाब हो या घूंघट—सामाजिक विकास की गति को बाधित करती है।
प्राउटिस्ट सर्व समाज ने राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य दिलीप सिंह सागर के नेतृत्व में सरकार से मांग की कि सार्वजनिक स्थलों और सरकारी कार्यालयों में चेहरा ढकने वाले किसी भी प्रकार के आवरण पर प्रतिबंध लगाने हेतु स्पष्ट और समान कानून बनाया जाए। संगठन का कहना है कि इस कानून के तहत बिना किसी भेदभाव के सभी रूढ़िवादी परंपराओं को शामिल किया जाना चाहिए।
इस संबंध में आज संगठन की ओर से गोरखपुर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर अपना पक्ष मीडिया के समक्ष रखा गया। संगठन ने कहा कि वह किसी भी ऐसी परंपरा का समर्थन नहीं कर सकता जो आधुनिक भारत की पहचान, महिला सम्मान और सार्वजनिक सुरक्षा के अनुरूप न हो।

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